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    सीएम के आदेश के सामने प्रशासन को खुदा का वास्ता - The Live Media

    सीएम के आदेश के सामने प्रशासन को खुदा का वास्ता

    मुख्यमंत्री के आदेश की कोई कदर नहीं
    – नगरपालिका की सहमति से खुले स्थानों के साथ रिहायशी क्षेत्रों में बेच रहे बेखौफ मांस
    – नगरपालिका व जिम्मेदार विभागों की मौन स्वीकृति
    झाबुआ। प्रदेश के मुख्यमन्त्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश भर में खुले क्षेत्र में बिक रहे मांस पर प्रतिबन्ध लगाने के आदेश पारित किए हैं लेकिन झाबुआ शहर में मुख्यमन्त्री के आदेश की कोई कदर नहीं की जा रही। शहर के खुले क्षेत्र के साथ ही शहर के रिहायशी क्षेत्रों में भी खुलेआम मटन बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं बस शहर में दर्जनों जगह बिरयानी, कवाब सेंटर भी संचालित हो रहे हैं। मटन विक्रेता नियमों को परे रखकर मटन का व्यवसाय कर रहे हैं। नियमानुसार मटन बेचने वालों द्वारा किसी भी जानवर को काटने के पूर्व उसका स्वास्थ परीक्षण निर्धारित डॉक्टर से करवाया जाना अनिवार्य होता है लेकिन शहर में पिछले कई वर्षों से मांस बेचने वाले इस नियम का पालन नहीं कर रहे। शहर में स्लाटर हाउस के अभाव में नपा कार्यालय के समीप मांस व्यापारियों को मांस बेचने के लिए शेड बनवाया गया है किंतु ये व्यापारी शेड के सामने और नपा कार्यालय के बगल में बैठ रहे हैं, इतना ही नहीं निर्धारित स्थल के बजाय शहर के कुम्हारवाड़ा, रोहिदास मार्ग पर बिना अनुमति के स्लाटर हाउस संचालित किए जा रहे हैं, जहां बकरा-बकरी, मुर्गा-मुर्गी के साथ ही पाड़े, बैल का भी मांस बेखौफ बेचा जा रहा है।शहर में जहां पाड़े, बैल काटे जा रहे हैं वहीं स्मीपस्थ राज्य गुजरात के गोधरा, दाहोद से भी पाड़े, बैल आदि का मांस बड़ी मात्रा में बिक्री के लिए इन व्यापारियों द्वारा मंगवाया जाता है। ये मांस किस जानवर का होता है अधिकांश खरीदारों को इसकी जानकारी नहीं होती। जिन्हें पता भी चले और वो शिकायत भी करे तो जिम्मेदारों द्वारा बजाय व्यापारी के उपर कार्रवाई करने के उल्टा व्यापारी को शिकायतकर्ता का नाम बता दिया जाता है। मांस के साथ ही खुले और रिहायशी क्षेत्रों में मछली व बिरयानी, कवाब भी धड़ल्ले से बिक रहे हैं जिनके आसपास गन्दगी के साथ आवारा कुत्तों का जमघट लगा रहता है जो यहां से गुजरने वालों के लिए परे शानी का सबब बने हैं। करीब 2011-12 में नपा ने शहर के बाहर स्लाटर हाउस बनाने का निर्णय लिया था और ये बात मांस व्यापारियों के समक्ष रखी गई थी किंतु मांस व्यवसाई शहर के बाहर जाने को तैयार नहीं हुए। उस समय नपा ने सख्ती दिखाते हुए स्लाटर हाउस बाहर बनवाया होता तथा शहर के मध्य व खुले क्षेत्रों में मांस बेचने पर प्रतिबन्ध लगाया होता तो ये नौबत नहीं आती। लेकिन इसके बाद किसी भी परिषद अथवा जिला प्रशासन ने स्लाटर हाउस बनवाने कदम नहीं बढ़ाया।अब जब प्रदेश के मुखिया मांस खुले में बेचने पर प्रतिबन्ध लगा दिए हैं उस आदेश की भी धज्जियां उड़ाई जाकर मुख्यमंत्री के आदेश का मखौल उड़ाया जा रहा है। या फिर खुले में मांस बेचने वालों को नपा व जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों की मौन स्वीकृति प्राप्त है!

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