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    बाबा बैजनाथ का इतिहास आगर मालवा - The Live Media

    बाबा बैजनाथ का इतिहास आगर मालवा

    *🙏सादर वन्दे🙏*

     

    *🌹बाबा बैजनाथ आगर , मालवा🌹*

    सन् 1879 की बात है ,उस समय अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया था तात्कालिक आगर छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को उस युद्ध का संचालन कार्य सौंपा गया , मार्टिन अपनी पत्नी को आगर में ही छोड़कर युद्ध संचालन हेतु मोर्चे पर गए l मार्टिन अपनी कुशलता का समाचार उनकी पत्नी को नियमित रूप से भेज दिया करते थे , इस दौरान मार्टिन के संदेश , उनकी पत्नी को मिलना अचानक बंद हो गए तब लेडी मार्टिन को कुशलता के समाचार न मिलने से नाना प्रकार की शंकाएं होने लगी l एक दिन लेडी मार्टिन , घूमते हुए बाबा बैजनाथ के मन्दिर में पहुंच गई l वहाँ लेडी मार्टिन ने देखा कि बाबा बैजनाथ के मन्दिर में पंडित लोग पूजा कर रहे हैं तब लेडी मार्टिन ने पूजा के बारे में पंडितो से पूछा l पंडितो ने लेडी मार्टिन को बताया कि यह भगवान शिव है जो भोले भंडारी और औढरदानी है जो भी भक्त सच्चे दिल से इनसे जो भी मांगता है यह उस भक्त की मांग अवश्य पूरी करते हैं l लेडी मार्टिन ने रोते हुए पंडितों से कहा कि मेरे पति युद्ध में गए हैं और उनकी कुशलता के समाचार मिलना अब मुझे बंद हो गए हैं मुझे उनकी चिंता हो रही है l तब पंडितों ने लेडी मार्टिन से कहा कि बेटी तुम *लघु रुद्री अनुष्ठान* यहाँ करवाओ ,

    भगवान शिव निश्चित रूप से तुम्हारे पति की रक्षा करेंगे l तब लेडी मार्टिन ने वहाँ लघु रुद्री अनुष्ठान प्रारंभ करवाया और भगवान शिव से अपने पति की रक्षा करने की प्रार्थना की और यह संकल्प लिया कि यदि उनके पति युद्ध में सकुशल आ गए तो वह मन्दिर पर शिखर बनवाएगी l साथियों लघु रुद्री अनुष्ठान की पूर्णाहुति के दिन एक संदेश वाहक भागता हुआ बाबा बेजनाथ के मन्दिर में ही आया और उसने लेडी मार्टिन को एक संदेश दिया , लेडी मार्टिन ने घबराते हुए उस संदेश को खोला और उसे पढ़ा , संदेश में उनके पति ने लिखा था कि ” अब हम युद्ध में सकुशल हैं l हम तुम्हें समाचार इसलिए नहीं भेज पाए कि हमें अचानक पठानी सेना ने घेर लिया था l अचानक घिरी ब्रिटिश सेना के सैनिक मरने लगे ऐसी विषम परिस्थिति से हम घिर गए और जान बचाकर भागना मुश्किल हो गया। इतने में देखा कि युद्ध भूमि में ही कोई एक योगी जिनकी लम्बी जटाएं एवं हाथ में तीन नोक वाला हथियार ( त्रिशूल ) लिए पहुंचे। उन्हें देखते ही पठान सैनिक भागने लगे और हमारी हार की घंटियाँ एकाएक जीत में बदल गई..। ” पत्र में लिखा था, यह सब उन त्रिशूलधारी योगी के कारण ही संभव हुआ। फिर उन त्रिशूलधारी योगी ने

    कहा- ‘ घबराओ नहीं , मै भगवान शिव हूंँ तथा तुम्हारी पत्नी द्वारा शिव पूजन से प्रसन्न होकर तुम्हारी रक्षा करने आया हूंँ। ‘ पत्र पढ़ते हुए लेडी मार्टिन ने भगवान शिव की प्रतिमा के सम्मुख सिर रखकर प्रार्थना करते हुए भगवान का शुक्रिया अदा किया और उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़ें l कुछ दिनों बाद जब कर्नल मार्टिन आगर मालवा ब्रिटिश छावनी से लौटकर आए और पत्नी को सारी बातें विस्तार से बताई और अपनी पत्नी के संकल्प पर कर्नल मार्टिन ने सन् 1883 में पंद्रह हजार रुपए का सार्वजनिक चंदा कर श्री बैजनाथ महादेव के मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

    आगर मालवा की उत्तर दिशा में जयपुर मार्ग पर बाणगंगा नदी के किनारे स्थापित श्री बैजनाथ महादेव का यह ऐतिहासिक मन्दिर लिंग राजा नलकालीन माना जाता है। पहले यह मन्दिर एक मठ के रूप में था तथा तांत्रिक अघौरी यहाँ पूजा-पाठ करते थे । आगर मालवा के इतिहास में उल्लेख है कि बैजनाथ महादेव के मन्दिर का जीर्णोद्धार कर्नल मार्टिन ने वर्ष 1883 में 15 हजार रुपए का चंदा कर करवाया था। इस बात का शिलालेख भी मन्दिर के अग्रभाग में लगा है।

    मन्दिर का गर्भगृह 11 ×11 फीट का चौकोर है तथा मध्य में आग्नेय पाषाण का शिवलिंग स्थापित है। मन्दिर का शिखर चूने-पत्थर से निर्मित है जिसके अंदर और बाहर ब्रह्मा , विष्णु और महेश की दर्शनीय प्रतिमाएँ उत्कीर्ण हैं।

    मध्यप्रदेश में उज्जैन नगर से करीब 67 कि.मी. की दूरी पर आगरा ( छावनी ) नगर है , आगर नगर , उज्जैन कोटा मार्ग पर स्थित है l आगर नगर से कोटा मार्ग पर कुछ दूर जाने पर बाबा बैजनाथ का मुख्य प्रवेश द्वार नजर आएगा वहाँ से प्रवेश करके हम बाबा बैजनाथ के मन्दिर तक पहुंच सकते हैं यह दूरी आगर नगर से मन्दिर तक की करीब 6 कि.मी.की है l

    आगर में 23 मार्च 1886 को बलदेवजी उपाध्याय के घर एक बालक ने जन्म लिया जिनका नाम जयनारायणजी उपाध्याय था , इनकी प्रारंभिक शिक्षा आगर में ही हुई थी और वकालत करने के बाद वे आगर की कोर्ट में ही वकालत किया करते थे इन्ही वकील साहब को ही बाद में उनके अनुयायी *छोटा बापजी* के नाम से पुकारते थे lवकील साहब बाबा बैजनाथ के बड़े भक्त थे , वे प्रतिदिन बाबा बैजनाथ के मन्दिर में जाते और बाबा की पूजा करके वहाँ बाबा का ध्यान लगाया करते थे lएक दिन की बात है कि वह पूजन के बाद बाबा के ध्यान में तल्लीन हो गए , उन्हें समय का जरा भी ध्यान नहीं रहा l दोपहर के 3:00 बजे के लगभग उनका ध्यान टूटा तब उन्हें याद आया कि आज तो कोर्ट में उन्हें एक पेशी पर उपस्थित होना था , उन्हें बहस भी करना थी , जिसका आज फैसला होने वाला था l वकील साहब एकदम घबरा गए और सीधे न्यायालय की ओर रवाना हो गए l वकील साहब जब न्यायालय पहुॅंचे तो उनके साथी अन्य वकील उन्हें बधाइयाँ देने लगे और उनके द्वारा की गई बहस की तारीफ करने लगे l तब वकील साहब उपाध्याय जी एकदम घबरा गए और उन्होंने बताया कि वह तो सीधे बाबा बैजनाथ के मन्दिर से ही न्यायालय अभी आ रहे हैं , कोर्ट में तो वे उपस्थित ही नहीं थे और ना ही

    उन्होंने बहस की थी , तब उन्हें

    न्यायाधीश महोदय ने भी बताया कि आप यहाँ उपस्थित थे , देखिये केस डायरी में आपके हस्ताक्षर है जैसे ही वकील साहब ने केस डायरी में अपने हस्ताक्षर देखें और अन्य केस की तारीख भी डायरी में नोट थी उन्हें देखकर वह आश्चर्यचकित हो गए और वे तुरंत समझ गए कि यह बाबा बैजनाथ की उन पर असीम कृपा हुई है l बाबा बैजनाथ,स्वयं वकील ( उनका ) का रूप धारण करके कोर्ट में उनकी पेशी पर उपस्थित हुए थे जिन्होंने बहस भी की , केस डायरी में उनके हस्ताक्षर भी किए और अन्य केस की तारीखे भी नोट की थी l यह जानकर उपाध्यायजी की आंखों से आंसू निकलने लगते हैं और इस चमत्कारी घटना के बाद वकील साहब ने सांसारिक जीवन ही त्याग दिया था l

    वकील साहब मालवा विभूति सद्गुरु नित्यानंदजी महाराज के शिष्य बन गए तभी से उनके अनुयाई उन्हें छोटे बाप जी के नाम से पुकारते थे l वकील साहब ने , 26 अक्टूबर 1945 को रतलाम जिले के धोंसवास गाँव में समाधि ले ली l

    मन्दिर के गर्भग्रह के समक्ष छोटे बाप जी ( वकील साहब ) की प्रतिमा स्थापित है जिसे आप देख सकते हैं

    *🙏 आपसे मेरा अनुरोध है कि आप एक बार आगर मालवा के बाबा बैजनाथ के दर्शन करने जरूर जाएं

     

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