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    पंडित जी की विवाह के संबंध में रिसर्च - The Live Media

    पंडित जी की विवाह के संबंध में रिसर्च

    पंडित जी हूँ और आज से आठ साल पहले लिखी हुई विवाह समारोहों में सूक्ष्मता से की गई रिसर्च का रिज़ल्ट बता रहा हूँ…!!

     

    1: हर बारात में सात आठ महिलाऐं और कन्याएं खुले बाल रखती हैं, जिन्हें वे गर्दन टेढ़ी करके कभी आगे तो कभी पीछे करने का प्रयास करती हैं..

    दरअसल उन्हें पता ही नहीं होता कितने प्नतिशत बाल आगे और कितने प्रतिशत पीछे रखने हैं…?

     

    2 : जो लंहगा उठाकर इधर उधर चल रही हो और बगैर काम के भी जो भयंकर व्यस्त दिखे, समझ लें कि वो दूल्हे की बहन है…

     

    3 : सजने – धजने और पहनावे में दूल्हे के बाद दूसरे नंबर पर जो प्रफुल्लित व्यक्ति दिखे समझ जाएं कि वो दूल्हे का छोटा भाई है…और जो अंट शंट सजने के बाद भी थोड़ा – थोड़ा गंभीर (रिजर्व) दिखे समझ लें कि वो दूल्हे का जीजा है…

     

    4 : बातचीत करते समय जिसकी नजर बार – बार भोजन स्टॉल की तरफ़ नही जा रही हो तो समझ लें कि वो दूल्हे या दुल्हन के परिवार का कोई घनिष्ठ सदस्य है..

     

    5 : “ये देश है वीर जवानों का”

    इस गीत पर वही लोग नाचते हैं, जिन्हें नाचना नहीं आता या जिनसे जबरन नाचने की मनुहार की जाती है… अधिकांश नर्तक 45 की उमर के उपर होते हैं…

     

    6 : सभी महिलाओं के स्टेप समान होते हैं बस देखने वालों को अलग अलग लगता है…

     

    7 : महिलाओं को शादियों में ‘सर्दीप्रूफ’ होने का वरदान है…

    सन्दर्भ : बगैर स्वेटर/शॉल

     

    8 : पटाखों की सबसे बड़ी लड़ी,लड़की के घर के बाहर ही फोड़ी जाती है…

     

    9 : स्टेज पर भले ही हनी सिंह प्रेमी हो पर बारात गन्तव्य तक पहुँचने पर गाना मोहम्मद रफी ही गाएगा…

    ‘बहारों फूल बरसाओ मेरा मेहबूब आया है…’

     

    12 : दूल्हा दूल्हन भले कैसा भी डांस करे, लेकिन सबसे ज्यादा तालियां उन्हीं को मिलती हैं… फोटोग्राफर भी उन्हीं पर फोकस अधिक करता है; क्योंकि उसे पता है पेमेंट इधर से ही आएगा…

     

    13 : तन्दूर के पास हर पच्चीस लोगों में एक ऐसा होता है जो सूखी रोटी (बिना-घी ) वाली की डिमांड करता है हालांकि उसकी प्लेट में

    गुलाबजामुन

    छोले

    फ्रूट क्रीम

    पनीर बटर मसाला

    मूंग दाल का हलवा आदि पहले से ठूंसा हुआ होता है..वास्तव में वो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक (health conscious) नहीं बल्कि वो अपनी कुशाग्र बुद्धि(talent) का उपयोग कर अपने से पहले खड़े लोगों से पहले रोटी लेना चाहता है…

     

    14 : 10 रुपए के गोलगप्पे खाकर दो बार सूखी पापड़ी की नीयत रखने वाले भी शादी में गोलगप्पे के स्टॉल पर एक गोलगप्पा ही खाते हैं वो भी इसलिए कहीं अगले दिन कोई ये ना कह दे कि “सबसे अच्छे तो गोलगप्पे बने थे”

     

    15 : जो लोग खुद के घर मेहमान आने पर चाय तक का नहीं पूछते वो दूसरों के यहां शादी में अन्य लोगों को आग्रह से मिठाई जरूर खिलाते हैं…

     

    16 : शादी में लाखों रुपए खर्च हों या करोड़ों… लेकिन शादी वाले घर के लोग बची हुई बेसन की चक्की और मिठाइयों को सहेजकर ताले में पहुंचाने में ही सर्वाधिक ऊर्जा खर्च करते हैं…

     

    17 : कोई कितनी भी मनुहार करके शादियों में खिलाए लेकिन वास्तविक आनंद शादी में बचने के बाद , घर भेजी हुई सब्जी को गरम करके खाने और मिठाई खाने में अधिक आता है…

     

    18 : रिसेप्शन में पेटभर खाना दबाने के बाद जो लोग पान नही खाते वे भी जाते जाते भीड़ में घुसकर पान खा ही लेते हैं ऐसा नहीं करने पर उन्हें कुछ अधूरापन महसूस होता है…भीड़ में डबल पान की जुगाड़ वाले भी होते हैं तो कुछ पेपर नेपकिन में पान का पार्सल बनाने वाले कलाकार भी…

     

    19 : रिसेप्शन के अंत में दूल्हे – दुल्हन के साथ भोजन करने वाले अधिकांश रिश्तेदार पहले से ही भोजन किए हुए होते हैं…

     

    20 : जो भी खास मेहमान बहुत मनुहार करने पर भी “भोजन देर से करूंगा” कहे समझ लें कि उसे विशेष पार्टी का भी न्योता है..

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