सैया भए कोतवाल तो डर काहे का वाली कहावत शायद सभी ने पड़ी और सुनी भी होगी ऐसा ही कुछ जिला मुख्यालय की नगर पालिका में चल रहा हे। बजट की कमी महसूस करने वाली नगर पालिका परिषद के भ्रष्ट कर्मचारी कहने को तो यह तक कहते नजर आते हे की कर्मचारियों के वेतन के लाले पड़ रहे,किंतु इन भ्रष्टों की शानो शौकत तो यही बयां कर रही की इनकी चारो अंगुलिया घी में और सर कड़ाई में हे हमेशा अपने कारनामों को ले कर चर्चित रहने वाली नगर पालिका में भ्रष्टाचार की पोल खोलती उत्कृष्ट सड़क, स्वच्छता हेतु किए गए कार्य हो अथवा शहर का बहादुर सहर तालाब,छोटा तालाब के सौंदर्य का मामला सभी में भ्रष्टाचार की सड़ांध पूरे शहर में छोटे तालाब की सड़ांध से अधिक फैल रही। शहर में नियम विपरित छः छः माले की अट्टालिकाएं तन रही शायद इनकी अनुमति भी नगर पालिका ने ही दी होगी निर्माण कार्य,सप्लाय से ले कर जमीनों, दुकानों की छत लिज दिए जाने में भी भ्रष्टाचार की कोई कसर नहीं छूटती दिखाई दे रही। झबुआ नगर पालिका पर अधिकांश समय सत्तारूढ़ भाजपा का ही कब्जा रहा। बीती परिषद जरूर कांग्रेस ने हथियाई थी लेकिन नगर पालिका का भ्रष्टाचा इस परिषद ने भी बजाए काबू करने के इसको बड़वा ही दिया। इसका उदाहरण एक बार फिर टाउनहाल की छत लिज दिए जाने के रूप में सामने आया। दर असल 18 अक्टूबर 2021 में नगर पालिका ने अखबार में विज्ञप्ति जारी कर टाउन हाल की छत जिसका क्षेत्र फल स्क्वेयर मीटर में 26.76 यानी 288 स्क्वेयर फीट जो की 18 लाख 61 हजार में नीलाम हुई तथा दूसरी 125.75 मीटर यानी 1354 स्क्वेयर फीट की लिज 52 लाख 29 हजार 5 सौ रुपए में हुई। यह दोनो लीज शहर के एक परिवहन माफिया ने अपने पुत्र वधू के नाम से ली। आश्चर्य तो यह की टाउन हाल के किस स्थान पर पहले से ही लिज हो कर निर्माण है उसे भूखंड दर्शा कर गुपचुप तरीके से लिज दे दी गई। इसके अतिरिक्त टाउन हाल की छत मात्र 1353 स्क्वेरा फीट में निर्माण की लिज दी गई थी किंतु परिवहन माफिया ने अपनी दबंगई माफिया गिरी और मुकेश की सेटिंग से न केवल 1354 से कही अधिक वर्ग फिट में निर्माण कर लिया अपितु इतना ही दूसरी छत पर निर्माण कर साबित कर दिया की नगर पालिका परिषद पर भू माफियाओं, का शिकंजा हे। परिषद तो हर 5 वर्ष में बदलती हे लेकिन वर्षो से यहां फेविकोल के मजबूत जोड़ की तरह कुर्सी से चिपके अदने कर्मचारी जो अपनी मूल पदस्थापना शाखा को छोड़ मलाईदार चार्ज ले कर नहले पर दहला मारने में लगे हे। नगर पालिका परिषद का नया कार्यकाल शुरू होने के बाद कयास लगाए जा रहें थे की अब तो शहर का उद्धार निश्चित ही होगा। परंतु बीते दिनों तीन दिन सी
एमओ के चार्ज का मामला सामने आया उससे उजागर हो गया की परिषद में आने के बाद सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे बन जाते हे। भरे बाजार में टाउन हाल पर लिज से अधिक नियम विरुद्ध कार्य होना निश्चित ही नगर पालिका का कुंभकर्णी नींद में सोना ही साबित। करता हे। बताते हे लिज से अधिक निर्माण और निर्माण को रिक्त भूखंड दर्शाकर लिज देने का मामला न्यायालय की शरण लेने वाला हे। न्यायालय में चुनौती दे कर नगर पालिका को सूर्पनखा साबित कोई करे इस से पहले कर्मठ कलेक्टर को मामले में संज्ञान ले कर दूध का दूध पानी का पानी करना चाहिए ताकि फिर कोई भूमाफिया इस तरह की हिमाकत नही कर सके।